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पत्ते को बनाया चार्जर, हवा से चलाता है स्कूटी

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गाजियाबाद। फिल्म ‘थ्री ईडियट्स’ में रैंचो कहता है कि बच्चा कामयाबी के पीछे नहीं, काबिलियत के पीछे भागो, कामयाबी झक मारकर तुम्हारे पीछे आएगी। गाजियाबाद के पवन का भी यही मूलमंत्र है। 12वीं में पढ़ रहे पवन ऐसे कई कारनामे कर चुका है, जो लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दें। फिर चाहे वो पीपल के पत्ते से मोबाइल की बैटरी चार्ज करना हो या हवा से स्कूटी चलाना। इन सबके लिए पवन कुमार ना सिर्फ खासी सुर्खियां बटोर चुका है, बल्कि महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों सम्मानित भी हो चुका है।
गाजियाबाद के राज नगर में रहने वाले पवन कुमार की कहानी फिल्मी नहीं है, लेकिन किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है। महज 8वीं कक्षा के दौरान ही पवन पर कुछ अलग करने का जुनून सवार हुआ। वो इस्तेमाल के लायक न रहे हर घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान में जोड़ तोड़ करता रहता। पिता पारस राम बताते हैं कि शुरू में उन्हें कुछ अजीब लगा था, लेकिन फिर धीरे-धीरे उसे वो प्रोत्साहित करने लगे। पारस राम कहते हैं कि पवन ने कई घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर प्रयोग किए। फेल भी होता रहा। घरवालों की डांट भी सुनी, लेकिन हार नहीं मानी।

इसी कोशिश में उसने सबसे पहले 2009 में पीपल के पत्तों से मोबाइल फोन की बैटरी चार्ज की। और जब कुछ और सोचा तो पीपल के पत्तों से पानी भी निकाला। जो पूरी तरह से शुद्ध और पीने लायक था। पवन ने कहा कि उसने किताब में सभी वस्तुओं के रिसाइकल फॉर्म से नई वस्तु प्राप्त करने के बारे में पढ़ा, तभी उसके दिमाग में आया कि अगर पत्तियां पूरे पेड़ के लिए खाना बनाती हैं, तो क्यों नहीं पत्तों से पानी भी वापस पाया जाए। और वो इसी सोच पर काम करने लगा तो छुट्टियों के दौरान अपने प्रयोग में सफल हो गया। वो अब भी इसपर खोज जारी रखे हुए है।
पवन जब 9वीं कक्षा में था, तभी आमिर खान की फिल्म ‘थ्री ईडियट्स’ रिलीज हुई। आमिर खान के रैंचो और फुंगसुकवांगडू के किरदार से प्रभावित होने के बाद पवन हद तक जुनूनी हो गया। इसी क्रम में प्रयोग करते हुए उसने एक दिन साइकिल से फोन चार्ज करने की देसी तरकीब खोज निकाली। जिसके लिए वो साइकिल के पहियों से उत्पन्न तरंगों को इलेक्ट्रॉन में बदलने में कोशिश की और सफल हुआ। इस कोशिश के तहत उसने साइकिल से ही इनवर्टर चार्ज किया, तो कई मोबाइल फोनों को एक साथ चार्ज करने में भी सफलता पाई। इस प्रयोग के बाद पवन लोकल अखबारों में हीरो की तरह छा गया, लेकिन रुका नहीं।
इस दौरान पवन ने टी-शर्ट पर सोलर पैनल लगाकर मोबाइल चार्ज किया, तो अपने सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में जुट गया। पवन का ये प्रोजेक्ट था, हवा से स्कूटी चलाना। जी हां! स्कूटी वो भी हवा से। पवन इसमें भी सफल हुआ। दरअसल, पवन ने बताया कि जब उसने यो बाइक के बारे में सुना और देखा, तो लगा कि ये यो स्कूटी तो हवा से भी चलाई जा सकती है।

चूंकि पवन ने साइकिल से इनवर्टर चार्ज करने की कला अपने दम पर हासिल कर ली थी, तो उसने यो-बाइक पर ये प्रयोग किया। जिसमें पूरी तरह से सफल रहा। पवन ने बताया कि यो बाइक में इस्तेमाल होने वाली 12 बोल्ट की बैटरी को चार्ज करने के लिए आगे पंखा लगा होता है। इस तरह से बाइक के चलते ही पंखा चलने लगता है, जिससे बैटरी चार्ज हो जाती है और उसी चार्ज बैटरी से यो बाइक को वो आराम से गाजियाबाद की सड़कों पर दौड़ाता है।
पवन की सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकती। वो अभी 12वीं में है। आईआईटी की तैयारी कर रहा है साथ ही मॉडलिंग में भी ट्राई कर चुका है। पवन की पहली प्राथमिकता बेहतर इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना है। पवन की प्रतिभा से देश के पूर्व राष्ट्रपति और देश के जाने माने वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी अचंभित हैं। पवन कुमार ने कहा कि कलाम साहब ने उसे आगे बढ़ते रहने का आशीर्वाद दिया है। वो मिसाइलमैन के पदचिह्नों पर चलना चाहता है।
पवन जिस देहरादून पब्लिक स्कूल में पढ़ता है, वो भी उसे सम्मानित कर चुका है। लेकिन उसकी ये सफलता अभी तक प्रशासन की कानों तक नहीं पहुंची है। उम्मीद है अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन ने पवन की मदद की, और उसकी प्रतिभा को निखरने का अवसर दिया तो यकीनन देश को भविष्य में एक अच्छा वैज्ञानिक मिल सकता है।

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